Saturn goes retrograde-१४२ दिन शनि है वक्री, बढ़ सकती है इन लोगो की परेशानिया


11 मई 2020 से  29 सितंबर 2020  तक शनि देव १४२ दिन के लिए  वक्री रहेंगे और उनके नकारत्मक प्रभाव से हम सबको बहुत सारी परेशानिया झेलनी पड़ सकती है। 

शनि आम तौर पर  गरीब जनता , कामगारों , वर्कर्स को रिप्रेजेंट करते है और इस कोरोना महामारी जंग के इस अति महत्वपूर्ण पड़ाव के मध्य शनि के वक्री होने से इन लोगो की घर वापसी में देरी से हुई परेशानियों में इजाफे के कारण ये लोग अपना धर्य खो रहे है और सरकार को इनके गुस्से को और तीब्र करने के बजाय इन्हे अपने-अपने घर भेजने के लिए तत्परता दिखानी चाहिए।  

जैसे मैंने पहले कहा है मंगल के 4 मई को राशि परिवर्तन के बाद हालत और ज्यादा ख़राब हो रहे है।  कई दुर्घटनायें जैसे आंध्र प्रदेश में जहरीली गैस का रिसाव,  महाराष्ट्र में प्रवासी मजदूरों का मालगाड़ी की चपेट में आना और कई अन्य स्थानों पर सड़क दुर्घटनाओ में अपने घर पहुँचने की आस में निकले बहुत सारे परवासियो की मौत शामिल है. 

मेरे बिचार से सरकारों को ग्रहो के संकेतो के आधार पर पहले ही इन मजदूरों और अन्य फॅसे हुए लोगो को सुरक्षित निकाल लेना चाहिये था. भविष्य के विषयो से संभन्धित निर्णयों में ज्योतिष का सहारा लेना समझदारी है अन्धविश्वास नहीं। 

शनि देव भारतीय ज्योतिष के अनुसार  कॉस्मिक जज , न्याय के देवता है,.  व्यक्ति को धार्मिकता का मार्ग अपनाने और कड़ी मेहनत करने में विश्वास करने के लिए प्रेरित करते  है। जटिल व गंभीर समस्यायें, व्याधियां और बीमारियां  व्यक्ति को धर्म और अध्यात्म के मार्ग पर चलने को मजबूर करती है. शनि के  वक्री, साढे साती के  प्रभाव यही उदेश्य है. 

अपने धर्म व् कर्त्वय मार्ग पर चलने वालो को शनि परेशान नहीं करते।  

लेकिन जो अहंकार के चलते अपनी पोजीशन और शक्ति का प्रयोग  गलत कर्म में करते है और  गरीबो , कमजोरो , असाहयपिछडो , पीड़ितों  को परेशान करते है उनको शनि की वक्र दृष्टि, साढ़े साती में बहुत बड़ी कठनाईया, नुकसान , कलेश  व् अपमान झेलना पड़ता है. 

अगले पांच महीने धनु, मकर और कुंभ राशि वाले जातकों को काफी कठिन समय का अनुभव होने की प्रवल संभावना है क्योंकि ये तीनो  शनि की कस्टदायी साढ़े साती के चरणों से  गुजर रहे है. 

 मेष, वृष, मिथुन, कर्क, कन्या और तुला राशि वालों पर शनि का नाकारत्मक  प्रभाव कम रहेगा जबकि सिंह, वृश्चिक और मीन राशि  वालो के लिए शनि  का  यह गोचर शुभ परिणाम दे सकता है.  
  
ज्योतिष में, शनि को भगवान सूर्य का पुत्र माना जाता है और उनकी माता  का नाम छाया है। ऐसा माना  जाता है कि  शनि का अपने ढीठ  और गंभीर स्वभाव के कारण हमेशा अपने पिता सूर्य देव के साथ तनावपूर्ण संबंध रहता है। 
कुंडली में सूर्य , चंद्र, गुरु , मंगल   से वक्री शनि का सम्बन्ध होना संकेत देता है कि व्यक्ति के  माता -पिता, भाई , बॉस और सरकार के मुखिया (राजा) के साथ अनदेखी , क्लैश और मनमिटाव के कारण  सम्बन्ध  विगड़ सकते है.  यह समय अधिकारियों के साथ धैर्य रखने का है। किसी भी गलती से नौकरी, धन या प्रतिष्ठा की हानि हो सकती है।
शनि सबसे मंद-गति से चलने वाले  ग्रह  है। एक कठोर शिक्षक के रूप में शनि देव  लोगों के कर्मों को देखते रहते  है और तदनुसार वे  अपनी  वक्र चाल , दृष्टि साढ़ेसातीदशा और गोचर अवधि के दौरान धीरे धीरे लम्बी अवधी तक उचित फल या दंड देते  है।  शनि 24 जनवरी 2020 से अपनी ही मकर राशि में गोचर कर रहे है और  ढाई साल तक इस राशि में रहेंगे ।

इन 142 दिनों के दौरान, 12 सितंबर 2020 तक उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में  संयोग से वृहस्पति भी  शनि  के साथ गोचर कर रहे है।  गुरु १४ मई से १२ सेपटम्बर तक वक्री रहेंगे। साथ ही, यह दोनों ग्रह प्लूटो और केतु  के निकट है जिस वजह से  कई स्थानों खासकर दक्षिण -पच्छिम स्थानों में.  पर अगले दो महीने महामारी के खतरे के  चलते स्थति और बिकट होने की संभावना है.

वाहन तेज व् असावधानी से न चलायें . अगर मज़बूरी में कहीं जाना पड़े तो ईश्वर का नाम स्मरण करे। राम रक्षा स्त्रोत्र व् हनुमान चालीसा, संकट मोचन और बजरंग बाण का पाठ करे। संभल कर रहे।   घर पर रहे. सुरक्षित रहे. 




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