क्या सिर्फ लकी नंबर ही काफी हैं? अहमदाबाद विमान हादसे में छिपे ज्योतिषीय और कर्म संकेत
लेख: VRIGHTPATH एक सनातन ज्ञान मंच जो आपके कर्म अंतरालों को समझकर उन्हें जोड़ने में मदद करता है।
12 जून 2025 को
अहमदाबाद से लंदन जा
रही एयर इंडिया की फ्लाइट AI-171 उड़ान भरते ही
दुर्घटनाग्रस्त
हो गई, जिसमें
241 लोगों की दर्दनाक मृत्यु हो
गई। ये केवल
एक तकनीकी दुर्घटना नहीं
थी, बल्कि एक
ऐसा हादसा था
जो कर्म, समय और ब्रह्मांडीय संकेतों के
अदृश्य जाल से
जुड़ा हुआ प्रतीत
होता है।
पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी इस विमान में यात्रा कर रहे थे. उन्होंने दो बार अपनी टिकट कैंसिल करवाई — ऐसा कहा जाता है कि उनके परिवार में “1206” नंबर को लकी माना जाता था। हैरानी की बात यह रही कि इस दुर्घटना में शामिल एक स्कूटर की नंबर प्लेट भी 1206 थी — मानो ब्रह्मांड ने एक चेतावनी दी हो कि सिर्फ अंक नहीं, समय का मेल भी ज़रूरी है।
AI-171
का अंकशास्त्रीय रहस्य
- फ्लाइट नंबर (AI-171) = A(1) + I(1) + 1+7+1 = 11 (मास्टर नंबर)→ मास्टर नंबर 11 आत्मिक जागृति और गहन भावनात्मक घटनाओं का प्रतीक होता है।
- दुर्घटना की तारीख: 12/06/20251+2+0+6+2+0+2+5 = 18 → 1+8 = 9 (मंगल)→ मंगल युद्ध, अग्नि और अचानक विनाश का प्रतिनिधित्व करता है।
- विमान मॉडल: 787-8 → 7+8+7 = 22 → 2+2 = 4 (राहु)→ राहु भ्रम, तकनीकी असफलता और वायुमंडलीय गड़बड़ी से जुड़ा है।
- यात्री संख्या: 242 → 2+4+2 = 8 (शनि)→ शनि सामूहिक कर्म, विलंब और पीड़ा का कारक है।
यहां
राहु (4), मंगल (9), और शनि (8) — तीनों ही अशुभ
और गूढ़ ग्रह
— एक ही घटना
में सक्रिय थे।
यह दर्शाता है
कि यह सिर्फ
संयोग नहीं, बल्कि
एक गंभीर कर्मीय संकेत था।
ज्योतिषीय स्थिति: एक कर्म जाल
जहाँ
अंकशास्त्र हमें संकेत
देता है, वहीं
ज्योतिष हमें पूरी
पटकथा दिखाता है।
आइए देखें 12 जून
2025 को दोपहर 1:39 बजे (अहमदाबाद
समयानुसार) जब विमान
ने उड़ान भरी,
उस क्षण ग्रहों
की स्थिति क्या
थी:
चंद्रमा – धनु राशि, मूल नक्षत्र (केतु शासित)
मूल नक्षत्र को अंत,
कर्मजन्य उखाड़फेंक और दुखद
समापन का नक्षत्र
माना जाता है।
इसे किसी यात्रा
की शुरुआत या
बड़े कार्य के
आरंभ के लिए
शुभ नहीं माना
जाता। इस समय
चंद्रमा मूल में
स्थित था और
उस पर शनि
की दशमी दृष्टि
भी पड़ रही
थी, जिससे भावनात्मक
भार और कर्मिक
अस्थिरता और अधिक
बढ़ गई
सूर्य और बृहस्पति मृगशिरा नक्षत्र में
दुर्घटना के समय सूर्य और बृहस्पति दोनों ही मृगशिरा नक्षत्र में गोचर कर रहे थे, जो कि अपनी चंचलता, जिज्ञासा और लगातार खोज में रहने की प्रवृत्ति के लिए जाना जाता है। यह नक्षत्र मंगल द्वारा शासित होता है — जो संघर्ष, जल्दबाज़ी और विस्फोटक ऊर्जा का प्रतीक है। सूर्य जहां वृषभ राशि में स्थित था (जो स्थिरता और व्यवस्था से जुड़ा है), वहीं बृहस्पति मिथुन राशि में था, जो संचार, गति और सूचना का प्रतिनिधि है।
देवगुरु बृहस्पति 9 जून 2025 से अस्त
सबसे महत्वपूर्ण बात यह थी कि देवगुरु बृहस्पति 9 जून 2025 से अस्त (combust) हो चुके थे, अर्थात वह सूर्य के अत्यधिक समीप थे, जिससे उनकी शुभ और रक्षक ऊर्जा क्षीण हो जाती है।
जब बृहस्पति अस्त होते है, तो हमारी निर्णय लेने की क्षमता, दूरदृष्टि और धार्मिक अथवा नैतिक विवेक पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इस स्थिति में विमानन जैसी जटिल प्रणालियों पर अदृश्य कर्मिक दबाव पड़ सकता है।
सूर्य और बृहस्पति दोनों का मृगशिरा में स्थित होना — जो स्वयं ही चंचलता का प्रतीक है — और मंगल शासित होने के कारण, जब ये कमजोर या प्रभावित हों, तो नियंत्रण और अराजकता के बीच टकराव और अधिक तीव्र हो सकता है, जिससे ऐसी दुःखद घटनाएं जन्म ले सकती हैं।
मंगल और केतु – सिंह राशि, मघा व पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र
राहु का अशुभ प्रभाव
राहु की दृष्टि प्रत्यक्ष रूप से मंगल पर पड़ रही थी, जिससे आत्ममोह और यांत्रिक विफलता की संभावनाएं तीव्र हो गईं। राहु अपने भ्रमजनक और विघटनकारी प्रभाव के लिए जाना जाता है, और जब यह उग्र ग्रह मंगल के संपर्क में आता है, तो अचानक और शक्तिशाली घटनाओं को जन्म दे सकता है — विशेष रूप से हवाई दुर्घटनाओं के संदर्भ में इसका प्रभाव कई बार देखा गया है।
इस अशुभ प्रभाव को और तीव्र करने वाला तत्व यह था कि घटना के समय राहु और बृहस्पति एक-दूसरे पर परस्पर दृष्टि डाले हुए थे — यह एक दुर्लभ और अत्यंत अस्थिर संयोग माना जाता है। विशेष रूप से ध्यान देने योग्य बात यह है कि यह हादसा गुरुवार को हुआ — जो बृहस्पति द्वारा शासित दिन है — और तारीख थी 12 जून (1+2 = 3), जो अंकशास्त्र में भी बृहस्पति से जुड़ा हुआ है।
यह दोहरी बृहस्पति ऊर्जा, जब राहु के प्रभाव में आती है, तो यह अक्सर कर्म-जन्य उथल-पुथल और निर्णायक घटनाओं को जन्म देती है। संभव है कि यही संयोजन इस त्रासदी के कर्मिक प्रज्वलन बिंदु (karmic ignition point) का कारण बना हो।
शनि – मीन राशि, उत्तराभाद्रपद नक्षत्र (अपना नक्षत्र)
शनि
वक्री अवस्था में
था और सूर्य पर तीसरी दृष्टि, चंद्र पर दसवीं दृष्टि डाल
रहा था। इससे
नेतृत्व, सिस्टम और भावनात्मक संतुलन सभी
पर दबाव बन
रहा था।
बुध – मिथुन में, आर्द्रा नक्षत्र (राहु शासित) और शुक्र – मेष में, अश्विनी नक्षत्र (केतु शासित)
दोनों ही तेज
गति, संचार व
यात्रा से जुड़े
ग्रह — लेकिन दोनों
छाया ग्रहों द्वारा
शासित नक्षत्रों में
थे, जो भ्रम, अस्थिरता और अनियंत्रण को
जन्म देते हैं।
एकमात्र जीवित यात्री – विश्वशकुमार रमेश (सीट 11A)
- सीट
नंबर 11A
→ मास्टर नंबर 11
- नाम
का अंक = 60 → 6 (शुक्र)
- संयोजन:
3 (गुरु - दिन), 6 (शुक्र - व्यक्ति), 9 (मंगल - वर्ष)
→ यह 3-6-9 का त्रिकोण आध्यात्मिक सुरक्षा और दैविक हस्तक्षेप का प्रतीक माना जाता है।
उनका जीवित रहना केवल संयोग नहीं, बल्कि शायद एक आध्यात्मिक उद्देश्य था।
सिर्फ "लकी नंबर" नहीं, संपूर्ण योग का महत्व समझें
इस
पूरे घटनाक्रम से
यह स्पष्ट होता
है कि किसी कार्य की सफलता केवल एक शुभ अंक या विश्वास पर नहीं, बल्कि उस समय बन रहे “योग” पर निर्भर करती है।
भारतीय
ज्योतिष में यही समझाया
गया है कि
—
“कार्य उसी समय करें जब योग, ग्रह, नक्षत्र
और कर्म मिलकर अनुकूल स्थिति बनाएं।”
किसी
यात्रा की योजना,
प्रोजेक्ट की शुरुआत या
बड़ा निर्णय लेते
समय केवल लकी नंबर, तारीख
या शुभ मुहूर्त देखना
पर्याप्त नहीं है — पूरा ब्रह्मांडीय परिप्रेक्ष्य जरूरी होता है।
VRIGHT
PATH – आपके कर्म अंतराल को समझने और जोड़ने का मार्ग
VRIGHT PATH एक
सनातन ज्ञान मंच है,
जो आधुनिक जीवन
के हर पहलू
में —
- व्यक्तिगत,
- पेशेवर,
- आर्थिक,
और
- आध्यात्मिक
कर्म अंतरालों को पहचानने और जोड़ने में मदद करता है।
हमारा
उद्देश्य है:
✔️ आपको स्पष्टता देना
✔️ सही समय
पर निर्णय लेने
में मदद करना
✔️ और आपके
जीवन को उच्च
दिशा में ले
जाना।
क्योंकि आपकी
“किस्मत” केवल आपकी
कर्म दिशा और काल-चक्र से बनी होती है।
ॐ शांति 🙏
हम विमान AI-171 के सभी दिवंगत आत्माओं को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।
और प्रार्थना करते हैं कि हम सभी समय की चेतावनियों को पहचान सकें।
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