ग्रह नक्षत्रो का संकेत "दक्षिण और पश्चिमी देशो पर मंदी की मार, लेकिन नंदी सवार करेंगे भारत का बेड़ा पार"
तो आपके मन भी चिंता और सवाल होगा कि वैश्विक क्षितिज पर कुछ और भी बुरा हो सकता है क्या ?
जहाँ तक कुछ बुरा या ख़राब होने का सवाल है तो मैंने पहले ही अपने जनवरी पॉडकास्ट https://aaryanaastronalytics.hubhopper.com/episodes/30729068 में प्रिडिक्ट किया था कि अप्रैल 2022 से 18 महीने के लंबे राहु के मेष राशि में गोचर के दौरान शेयर बाजारों के लिए समय काफी उतार चढ़ाव वाला रहने वाला है.
हालांकि मैंने यह भी कहा था कि इस दौरान बीच बीच में अन्य प्रमुख ग्रह गोचर होंगे जो अर्थव्यवस्था, इक्विटी बाजारों और निवेशकों की किस्मत को सपोर्ट और प्रभावित करना जारी रखेंगे।
![]() |
आर्यन राणा , एस्ट्रो इकोनॉमिस्ट |
इन स्टार संकेतों के आधार पर मेरा मानना है कि आर्थिक मंदी की संभावना पश्चिमी और दक्षिण क्षेत्रो के देशो को ज्यादा है। इसका कारण 5 जून से 23 अक्टूबर तक शनि की 110 से अधिक दिनों की लंबी वक्री गति है। शनि देव सबसे धीमी गति से चलने वाले ग्रह है जो पश्चिम का प्रतिनिधित्व करते है और ब्रह्मांडीय दुनिया में कष्ट, कठिनाई, देरी, ठहराव, न्याय व दंड के भी करक ग्रह है
शनि देव के ५ जून से वक्री होते ही आर्थिक मंदी और ठहराव की चर्चाये और श्रीलंका में जन आक्रोश अपने चरम पर जा सकते है.
लेकिन रहत की बात यह है कि इसी बीच धर्म गुरु बृहस्पति जो धर्म, ज्ञान, भाग्य, शुभता, वैश्विक अर्थव्यवस्था और विस्तार के ग्रह माने जाते है 28 जुलाई से 23 नवंबर तक अपनी ही राशि में वक्री रहेंगे, जो इंगित करता है कि अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिये जो प्रयास किये जा रहे है उनके सकारात्मक परिणाम देखने को मिलेंगे और शेयर बाजार में तेजी आ सकती है खास तौर पर जुलाई के मध्य ,के बाद.
मंगल जो युद्ध और ब्लड बाथ के कारक ग्रह है, ने जब फेब में शनि के साथ अपनी उच्च राशि मकर में गोचर करने आये तो रूस ने उक्रैन पर हमला बोल दिया था और तब से कच्चे तेल और अन्य कमोडिटीज की कीमतों में बहुत ज्यादा बढ़ोतरी हुई है जिसकी वजह से कोविद के प्रभावों से उभरती हुई जो अर्थव्यवस्था पटरी पर आ रही थी अब मंदी की चपेट में आती हुई नजर आज रही है।
लेकिन मेरा मानना है कि शनि देव १२ जुलाई से मकर राशि जो दक्षिण का प्रतिनिधित्व करती है, में दुबारा गोचर और जुलाई में सूर्य का कर्क में गोचर और गुरु की वक्री चाल और मंगल का 10 अगस्त को राहु केतु के काल सर्प दोष अक्सिक्स से बहार निकल कर गोचर करना स्थिति के सकारात्मक होने के संकेत दे रहा है.
रूस और यूक्रेन के बीच जो युद्ध चल रहा है अगस्त के मध्य में मंगल और सूर्य के राशि परिवर्तन के बाद विराम लग सकता है और आसमान छूती कीमतों और मुद्रास्फीति में भी काफी हद तक गिरावट आने की संभावना है.
इस लिए मेरा मानना है गुरु देव के सकारत्मक प्रभाव से मध्य , पूर्व और उत्तरी गोलार्ध क्षेत्र के देशो जिनमे न केवल भारत ही नहीं बल्कि कई अन्य देशों को पश्चिम में मंदी या संभावित आर्थिक वृद्धि के ठहराव से लाभ होने की संभावना है जिससे शेयर बाजार में अगले छह महीने तेजी से सुधार हो सकता है.
धर्म शास्त्र के अनुसार दूसरों के दुर्भाग्य से लाभ प्राप्त करना आम तौर पर अच्छी बात नहीं है। लेकिन भारत जैसे देश के लिए जो विकसित अर्थव्यवस्थाओं से उत्पन्न पथभ्रष्ट आर्थिक नीतियों के दुष्परिणामों को झेल रहा है—वहां पर मंदी होना ईश्वर का दंड हो सकता है। और वास्तव में यह मंदी डॉक्टर द्वारा सुझाई दवा जैसे काम कर भारतीय अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने के लिए ईश्वर ने ही निर्धारित किया मान सकते है ।
नंदी पर सवार भगवान भोलेनाथ के पावन श्रावण और चातुर्मास में शनि देव के माध्यम से पश्चिम को दंड और देवगुरु आशीर्वाद तरक्की देंगे। पश्चिमी देशों में मंदी से सबसे पहले कच्चे तेल की कीमतों को कम होना सुरु हो गई है । धातु की कीमतें पिछले कुछ समय से गिर रही हैं और आर्थिक स्वास्थ्य के अच्छे संकेत के रूप में देखे जाने वाले तांबे की कीमतों में दूसरी तिमाही में लगभग 25 प्रतिशत की गिरावट आई है। हालाँकि, भारतीय अर्थव्यवस्था को अभी भी पटरी पर आने से पहले कुछ और कठिन रास्ता तय करना है।
Comments
Post a Comment